उलझन Uljen Part-2 सरोज जल्दी-जल्दी साडी और मैचिंग की जूलरी और सैंडल लेकर जल्दी से ललिता भाभी के यहां से निकल कर पार्टी में जाने के लिए तैयार होने के लिए चल देती है जल्दी से सरोज अच्छी सी तैयार हो जाती है उसके दिन सरोज सबसे सुंदर पार्टी में लग रही थी उसने मन ही मन ललिता भाभी को धन्यवाद दिया आज जिनकी वजह से उनकी इज्जत रह पाई और वह इतनी सुंदर लग रही थी बार-बार उसकी पत्नी भी उसकी ही तारीफ कर रहे थे अब बहुत खुश थी और वह अपनी सबसे अच्छी सहेली ललिता भाभी को मानने लगी थी घर आने के बाद दूसरे दिन सरोज का मन नहीं था साडी को लौटाने का फिर भी उसने सारा सामान पैक किया और ललिता भाभी को लौटाने के लिए चल दी जल्दी से जाकर उसने ललिता भाभी की घंटी बजाई और उन्होंने कल की पार्टी की सारी घटने को बताया कितनी सुंदर लग रही थी और कितनी प्यारी लग रही थी दोपहर का समय था सरोज के यहां पर कोई ऐसा नहीं था ललिता भाभी के यहां मंदा मंदा ऐसा चल रहा है जो सरोज को बहुत ही ठंडा का एहसास दे रहा था ललिता भाभ...
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Jab hum chote the koi tention nahi thi hm bade hue taqulife badhna shuru hui .kai bar hum y sochte h kash hum bade na hue hote but hme in SB situations ka Samna Karna hoga ab sawal y aata h kaise kaise life Ko easy banaya.jise hm he pal Kush rah sake agli post m m apko khusnuma jindagi k Raj bataungi.