उलझन Uljen Part-2 सरोज जल्दी-जल्दी साडी और मैचिंग की जूलरी और सैंडल लेकर जल्दी से ललिता भाभी के यहां से निकल कर पार्टी में जाने के लिए तैयार होने के लिए चल देती है जल्दी से सरोज अच्छी सी तैयार हो जाती है उसके दिन सरोज सबसे सुंदर पार्टी में लग रही थी उसने मन ही मन ललिता भाभी को धन्यवाद दिया आज जिनकी वजह से उनकी इज्जत रह पाई और वह इतनी सुंदर लग रही थी बार-बार उसकी पत्नी भी उसकी ही तारीफ कर रहे थे अब बहुत खुश थी और वह अपनी सबसे अच्छी सहेली ललिता भाभी को मानने लगी थी घर आने के बाद दूसरे दिन सरोज का मन नहीं था साडी को लौटाने का फिर भी उसने सारा सामान पैक किया और ललिता भाभी को लौटाने के लिए चल दी जल्दी से जाकर उसने ललिता भाभी की घंटी बजाई और उन्होंने कल की पार्टी की सारी घटने को बताया कितनी सुंदर लग रही थी और कितनी प्यारी लग रही थी दोपहर का समय था सरोज के यहां पर कोई ऐसा नहीं था ललिता भाभी के यहां मंदा मंदा ऐसा चल रहा है जो सरोज को बहुत ही ठंडा का एहसास दे रहा था ललिता भाभ...
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Showing posts from February, 2024
रोमांटिक कहानियां,Jindgi ka adhura pan
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जिंदगी का अधूरा पन.... सुषमा जिंदगी में बिल्कुल अकेलापन महसूस कर रही थी। उसे लगता था। उसके चारों तरफ केवल अंधेरा ही अंधेरा है। जैसे घर में उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता और ना ही कोई उसकी तरफ ध्यान देता था। उसे ऐसा लगता था ! केवल वह एक सामान्य और सबका ध्यान रखने वाली एक नौकरानी है। इसके अलावा उसकी कोई अहमियत इस घर में नजर नहीं आती थी। किसी के पास वक्त ही नहीं था। सुषमा से बात करने के लिए यहां तक उसका पति विशाल एक बहुत बड़ा इंजीनियर था, लेकिन उसके पास सुषमा से बात करने के लिए वक्त नहीं था। वह हमेशा अपने लैपटॉप और मोबाइल में बिजी था। आज सुबह जब सुषमा उठी तो उसे मॉर्निंग बहुत अच्छी लग रही थी क्योंकि आज विशाल की छुट्टी थी। उसे लग रहा था। मैं विशाल से ढेर सारी बातें करेगी और उसके साथ अपने सारे दुख बांट लेगी। वह बहुत सारी बातें विशाल से करना चाहती थी। लेकिन यह क्या विशाल का तो ध्यान उसकी तरफ जा ही नहीं रहता। बिल्कुल अपने कामों में व्यस्त था। अपने मोबाइल में और अपने लैपटॉप |और धीरे-धीरे बारिश होने लगी। सुषमा का ध्य...