उलझन (uljen)

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               उलझन   आज रमेश  ऑफिस से आए तो वह बड़े खुश थे। उन्होंने कहा, सरोज हमें शाम को दोस्त के यहां खाने पर चलना है। उसने बड़े दिल से मुझे आमंत्रण दिया है। मैं खुशी से झूम उठी कि चलो कभी तो किसी ने हमें भी खाने पर बुलाया है। वरना मैं तो घर की चार दिवारी  में कामकाज करते हुए अपना पूरा दिन बिता देती थी। पता ही नहीं चलता था। कब सुबह रमेश गए और कब शाम को वह लौट आए।  पूरा दिन में घर के कामों में ही व्यस्त रहती थी। रमेश की इतनी ज्यादा सैलरी ना होने के कारण हमारा गुजारा बड़ी मुश्किल से ही चल पाता था। इसलिए मैं भी  दिन में इधर-उधर काम कर लेती थी। कभी किसी की साड़ी में फॉल लगा दिया तो कभी किसी का ब्लाउज सी दिया कभी आंटी जी के पापड़ बना दिए तो कभी-कभी कोई  चिप्स बना रहा तो उसकी सुख दिए बदले में कॉलोनी वाले मुझे थोड़े पैसे दे दिया करते थे ,उन्हें मालूम था कि रमेश की इतनी ज्यादा सैलरी नहीं है और मैं काफी परेशान रहती थी इसलिए वह भी मेरी बदले में मदद कर दिया करते थे इसी तरह मेरा पूरा दिन निकल जाता था लेकिन आज तो मैं बहुत खुश थी कि मुझे खाना खाने जाना है रमेश ने बताया कि उसका दोस्त जिनके यहां उ

रोमांटिक कहानियां,Jindgi ka adhura pan


             जिंदगी का अधूरा  पन....

सुषमा जिंदगी में बिल्कुल अकेलापन महसूस कर रही थी। उसे लगता था। उसके चारों तरफ केवल अंधेरा ही अंधेरा है। जैसे घर में उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता  और ना ही कोई उसकी तरफ ध्यान देता था। उसे ऐसा लगता था !
 केवल वह एक सामान्य और सबका ध्यान रखने वाली एक नौकरानी है। इसके अलावा उसकी कोई अहमियत इस घर में नजर नहीं आती थी। किसी के पास वक्त ही नहीं था। सुषमा से बात करने के लिए यहां तक उसका  पति विशाल एक बहुत बड़ा इंजीनियर था, लेकिन उसके पास सुषमा से बात करने के लिए वक्त नहीं था। वह हमेशा अपने लैपटॉप और मोबाइल में बिजी था। आज सुबह जब सुषमा उठी तो उसे मॉर्निंग बहुत अच्छी लग रही थी क्योंकि आज विशाल की छुट्टी थी। उसे लग रहा था। मैं विशाल से ढेर सारी बातें करेगी और उसके साथ अपने सारे दुख बांट लेगी। वह बहुत सारी बातें विशाल से करना चाहती थी। लेकिन यह क्या विशाल का तो ध्यान उसकी तरफ जा ही नहीं रहता। बिल्कुल अपने कामों में व्यस्त था। अपने मोबाइल में और अपने लैपटॉप |और धीरे-धीरे बारिश होने लगी।  सुषमा का ध्यान बाहर की बारिश।की तरफ गया और वह किचन में जाकर बाहर खिड़की से बारिश देखने लगे।

तभी विशाल ने उसे आवाज देकर कहा, सुषमा बाहर क्या देख रही हो। इतनी देर से ।उसने कहा कुछ नहीं। मैं बच्चों का ध्यान दे रही हूं। बच्चे कितनी देर से आएंगे अभी तक आए नहीं है। लेकिन वह तो चाहती थी कि विशाल का ध्यान उसकी तरफ जाए। वह बिल्कुल उसके सामने जाकर खड़ी हो गई थी ताकि वह उसे उसने पास बुलाए और उसे बहुत सारी।....... ऐसा नहीं हुआ बच्चे आ गए वह बच्चों के लिए पकौड़े तलने में व्यस्त हो गई उसने सबको पाकुड़िया खिलाई चाय बनाई और अपनी शाम के खाने के काम में जुट गई उसके लिए किसी के पास समय नहीं था बच्चे भी आकर अपने मोबाइल में और अपनी पढ़ाई में लग गए ।मैं अपना काम निपटाने मै लग गईं ,जिन्दगी बिल्कुल नीरस सी लग रही थी।थोड़ी देर बाद विशाल के फोन पर घंटी बजी ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग उसने फोन उठाया तो सामने से उसके दोस्त विजय का फोन था वह यह कह रहा था कि मेरा भाई राहुल है जो इस शहर में रहने के लिए आना चाहता है कोई मकान हो तो इस किराए पर दिला दो वो दिन भर तो कॉलेज में रहेगा लेकिन यह क्या उसने कहा बिल्कुल तुम राहुल को मेरे ही घर पर रख सकते हो ऊपर वाला कमरा खाली है हमारे यहां कोई नहीं रहता दिन भर केवल सुषमा अकेली रहती है तो उसका ध्यान रख लगी तभी सुषमा को बुरा लगा कि वह घर में एक मेंबर को और बढ़ाना चाहते हैं उसका बोझ और बढ़ाना चाहते हैं लेकिन उसने कहा चलो घर में कोई रहेगा तो चहल पहल में की रहेगी उससे भी इनकार नहीं किया दो दिन बाद शाम के समय दरवाजे पर घंटी बजी तो सुषमा ने देखा कोई अनजान चेहरा दरवाजे पर आकर खड़ा था उसने कहा आंटी मेरा नाम राहुल है और  विजय अंकल ने मुझे भेजा है तभी सुषमा को उसे विशाल का फोन आया उसने कहा कि विजय का भाई राहुल आया होगा। तुम ऊपर का कमरा इसको दिखा दो वहीं रहने के लिए इसी जगह दे दो राहुल को सुषमा ने ऊपर का कमरा दिखा दिया और वहां रहने लगा वक्त धीरे-धीरे बीतता गया ।किसी को भी सुषमा के लिए समय नहीं था 

लेकिन एक राहुल ही घर में ऐसा था जो सुषमा के लिए भरपूर समय निकलता था और सुषमा का पूरा ध्यान रखता था उसके बनाए हुए खान की बहुत तारीफ करता था उसकी सुंदरता की बहुत तारीफ करता था उसके हर चीज का ख्याल रखता था उसको घूमने भी ले जाता वह मार्केट की कहती तो उसे मार्केट ले जाता अब सुषमा को भी धीरे-धीरे बोरियत कम लगने लगी उसे भी राहुल का साथ अच्छा लगने लगा था उसे लगा था जैसे उसकी जिंदगी में पंख लग गए हैं उड़ान भर रही है ऐसे उड़ान उसने पहले कभी नहीं भरी थी अब बच्चे घर वालों की तरफ कम ध्यान देने लगी थी उसे भी विशाल से बात करने का बिल्कुल मन नहीं करता था क्योंकि वह दिन भर उसकी आंखें राहुल को ही ढूंढती रहती थी अगर राहुल उसे दिखाई नहीं देता था तो उसका मन बेचैनी से भर जाता था कि राहुल कहां है और किधर कभी-कभी राहुल को कॉलेज से आने में लेट हो जाता था तो सुषमा का टकटकी  लगाए दरवाजे पर उसका इंतजार करती रहती थी एक दिन सुषमा से राहुल ने कहा आपको मार्केट घूम कर लाता हूं तो उसने कहा बच्चों को भी साथ ले लो लेकिन सुषमा ने कहा बच्चे तो लेट आएंगे बच्चे तो ट्यूशन गए हैं तो फिर उसके बाद राहुल उसे अपने साथ बाइक पर घूमने ले गया उसे बहुत मज़ा कराया उसे बहुत सारी शॉपिंग कराई तो सुषमा को यह चीज बहुत अच्छी लग रही थी मानो उसकी जिंदगी में भी रंगों का त्यौहार आ गया है अब बहुत खोई खोई सी रहने लगी अब उसे घर में किसी से कोई मतलब नहीं था मैं भी अपनी जिंदगी भरपूर जी रही थी लेकिन एक दिन राहुल आया उसका मुंह लटका हुआ था और वह रोनी सूरत बनकर बैठा हुआ था जब सुषमा ने उसे बहुत पूछा तो उसने बताया कि उसका मोबाइल फोन गुम हो गया और उसके पास पैसे नहीं है भैया ने उसे बहुत महंगा दिलाया था भैया डटेंगे अब मैं क्या करूंगा उसके  सुषमा ने उसके कहा कोई बात नहीं मैं तुम्हें पैसे दे देती हूं सुषमा ने अपने जुड़े हुए पैसों को निकाला और उसमें ₹15000 निकाल कर राहुल को दे दिए राहुल वे पैसे लेकर बड़ा खुश हो गया और मोबाइल फोन लेकर आ गया थोड़े दिन बाद सुषमा फिर से राहुल के साथ अपनी जिंदगी जीने में व्यस्त हो गई वो राहुल के लिए अच्छे-अच्छे खाने बनाने लगी उसे पसंद और नापसंद का भरपूर ध्यान रखने लगी अब विशाल से ज्यादा राहुल का ख्याल रखने लगी थी उसे राहुल के लिए हर चीज बनाना उसे खिलाना अच्छा लगता था उसे लगता था कि यही एक आदमी है जो मेरा ध्यान रख रहा है और मेरी जिंदगी को रंग इसी ने दिए यह कहता राहुल फिर एक दिन घर आने में लेट हो गया सुषमा काफी देर तक उसका इंतजार करती रही लेकिन वह लौटकर नहीं आया तभी राहुल आया तो  उसने पूछा आज क्या होगा तो वह बिना बात किए सुषमा से ऊपर अपने कमरे में चला गया तभी सुषमा ने उसका कमरा खटखटाया और उसे जाकर  पूछे तो उसने कहा कि मेरे भैया ने मुझे बाइक दिलाई थी लेकिन मेरे दोस्त को पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत थी तो मैंने वह बाइक बेच दी अब मेरे पास ना बाइक नहीं है कुछ भी नहीं है मैं कहां से कॉलेज जाऊंगा क्या पैदल जाऊंगा अब मुझे यहां से सब छोड़ कर घर जाना पड़ेगा। पर सुषमा किसी कीमत पर उसे खोना नही चाहती थी  तभी सुषमा नीचे जाकर । बच्चों की कोचिंग की फीस के पैसे रखे हैं तो वह ले लो क्योंकि वह किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी कि राहुल इस घर को छोड़कर जाए उसकी जिंदगी बेरंग हो जाए लेकिन मैं अपनी जिंदगी में फिर से कहां से रंग भरेगी उसे तो उसके साथ के बिना जिंदगी में कुछ नजर ही नहीं आ रहा तभी नीचे गई और जल्दी से बच्चों के कोचिंग के पैसे ले और ₹50000 उसने राहुल के हाथ में रख दिए और कहां यह लोग इन पैसों से तुम अपने लिए नहीं बाइक खरीद लेना और तुम फटाफट से अपना मूड ठीक करो मैं तुम्हारे लिए बहुत अच्छा खाना बनाया है तुम हाथ धो हम ढेर सारी बातें करते हैं राहुल ने अपना मूड ठीक किया नीचे आकर उसे सुषमा से ढेर सारी बातें की थोड़ी देर बाद सुषमा उसके लिए दूध बनाकर जो ऊपर वाले कमरे में जा रही थी तब उसने 


राहुल से किसी को किसी से फोन पर बात करती सुना जिसमें राहुल यह कह रहा था कि यार अमीर ओरतो  को बेवकूफ बनाना बहुत आसान है इसीलिए तो इसे दोस्ती करना सही रहता है बेचारी ने मुझे दो-दो बार पैसे दे दिए हैं मेरी जिंदगी तो बड़ी आसान और ऐसे गुजर रही है ऐसे ही  मैं इसे बेवकूफ बनाता रहूंगा यह मुझे पैसे देती रहेगी क्योंकि इसकी जिंदगी मैं इसकी  जरूरत है तो वह जरूरत है मैं पूरा करता हूं यह इतनी बेवकूफ  है कि इस अगर में अपने साथ सोने के लिए भी कहूंगा तो यह तैयार हो जाएगी इसीलिए मैं इसका पूरा इस्तेमाल  कर रहा हूं और उनके घर में भी बिना किराए से रह रहा हूं और अच्छा खाना भी खा रहा हूं और पैसे भी लेता रहूंगा तभी सुषमा को होश आता है कि वह किस तरफ जा रही है और मैं कहां भेज रही है और यह आदमी कितना गलत है और भावनाओं में बहकर क्या कदम उठा रही थी अपने पूरा घर और अपने  हस्बैंड की मेहनत से इतनी कमाई हुई कमाई उसके हाथों में रख रही है जो उसका है ही नहीं और  जो बहरूपिया उसके घर को खत्म करने के लिए आया सुषमा जैसे नींद से जाग गई थी और उसे अपनी जिंदगी जैसी थी वैसी बहुत पसंद आने लगी उसे अफसोस था ।
उसने राहुल को ......जब जब शाम को विशाल घर आया तो उसने कहा विशाल से की राहुल को जाने के लिए कह दे मैं अपने घर में इसे नहीं रख सकती हु और उसके भाई को फोन कर दे जो पैसे मैंने इसको उधार दिए हैं मैं जल्दी से जल्दी लौटा दे और सुषमा की आंखें खुल चुकी थी राहुल बड़ी शर्मिंदगी से आंखें नीचे कर कर सुषमा के घर से निकल गया था क्योंकि उसे पता चल गया था की सुषमा को उसकी सच्चाई पता चल गई और उसने राहुल के मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया और अपनी जिंदगी को फिर से शुरू किया अब उसे पता  पता चल गया था उसके जीवन का असीम सुख उसके पति और बच्चों में ही है उसने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए लेखन कार्य शुरू कर दिया था मैं भी लैपटॉप पर और अपनी किताबों पर अपनी कहानी लिखी रहती थी धीरे-धीरे उसकी कहानी उसके ब्लॉक पर काफी प्रसिद्ध हो चुकी थी और लाखों लोग उसकी कहानियों को पढ़ने लगे थे वह एक अच्छी राइटर बन चुकी थी और उसे भी समय नहीं था और वह सब के साथ मिलकर अपना संडे एंजॉय करती थी आखिर कर उसे जीवन का असली मकसद मिल गया था और उसे अपनी गलती का अहसास था.

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