उलझन Uljen Part-2 सरोज जल्दी-जल्दी साडी और मैचिंग की जूलरी और सैंडल लेकर जल्दी से ललिता भाभी के यहां से निकल कर पार्टी में जाने के लिए तैयार होने के लिए चल देती है जल्दी से सरोज अच्छी सी तैयार हो जाती है उसके दिन सरोज सबसे सुंदर पार्टी में लग रही थी उसने मन ही मन ललिता भाभी को धन्यवाद दिया आज जिनकी वजह से उनकी इज्जत रह पाई और वह इतनी सुंदर लग रही थी बार-बार उसकी पत्नी भी उसकी ही तारीफ कर रहे थे अब बहुत खुश थी और वह अपनी सबसे अच्छी सहेली ललिता भाभी को मानने लगी थी घर आने के बाद दूसरे दिन सरोज का मन नहीं था साडी को लौटाने का फिर भी उसने सारा सामान पैक किया और ललिता भाभी को लौटाने के लिए चल दी जल्दी से जाकर उसने ललिता भाभी की घंटी बजाई और उन्होंने कल की पार्टी की सारी घटने को बताया कितनी सुंदर लग रही थी और कितनी प्यारी लग रही थी दोपहर का समय था सरोज के यहां पर कोई ऐसा नहीं था ललिता भाभी के यहां मंदा मंदा ऐसा चल रहा है जो सरोज को बहुत ही ठंडा का एहसास दे रहा था ललिता भाभ...
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Showing posts from April, 2024
उलझन (uljen)
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उलझन आज रमेश ऑफिस से आए तो वह बड़े खुश थे। उन्होंने कहा, सरोज हमें शाम को दोस्त के यहां खाने पर चलना है। उसने बड़े दिल से मुझे आमंत्रण दिया है। मैं खुशी से झूम उठी कि चलो कभी तो किसी ने हमें भी खाने पर बुलाया है। वरना मैं तो घर की चार दिवारी में कामकाज करते हुए अपना पूरा दिन बिता देती थी। पता ही नहीं चलता था। कब सुबह रमेश गए और कब शाम को वह लौट आए। पूरा दिन में घर के कामों में ही व्यस्त रहती थी। रमेश की इतनी ज्यादा सैलरी ना होने के कारण हमारा गुजारा बड़ी मुश्किल से ही चल पाता था। इसलिए मैं भी दिन में इधर-उधर काम कर लेती थी। कभी किसी की साड़ी में फॉल लगा दिया तो कभी किसी का ब्लाउज सी दिया कभी आंटी जी के पापड़ बना दिए तो कभी-कभी कोई चिप्स बना रहा तो उसकी सुख दिए बदले में कॉलोनी वाले मुझे थोड़े पैसे दे दिया करते थे ,उन्हें मालूम था कि रमेश की इतनी ज्यादा सैलरी नहीं है और मैं काफी परेशान रहती थी इसलिए वह भी मेरी बदले में मदद कर दिया करते थे इसी तरह मेरा पूरा दिन निकल जाता था लेकिन आज तो मैं बहुत...
Chingari part-3
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Chingari Part -3 अब मैं विनीत पर जोर से चिल्लाते हुए कहा क्या तुम मेरा इस्तेमाल कर रहे थे प्यार की आड़ में मुझे धोखा दे रहे थे । एक पल के लिए विनीत हड़बड़ाया और बोला नहीं नहीं मैं तुम्हें धोखा नहीं दे रहा हूं तुम मुझे गलत समझ रही हो। तुम जानती नहीं हो मुझ पर घर वालों का कितना प्रेशर है। तुम भी एक शादीशुदा थी तब भी मैंने तुमसे प्यार किया तुम्हारे साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाया तुम मुझे गलत समझ रही हो । लेकिन विनीत तुमने एक पल भी मेरे लिए नहीं सोचा। मैं कब तक सुमित की इस दरिंदगी को सहती रहूंगी। आखिर मुझे भी जीवन जीने का हक है। मैं कब तक जिंदगी की इन दो बातों में पिसती रहूंगी। मैं तुम्हारे प्यार को सच्चा समझा इसीलिए मैने इस रिश्ते आगे बढ़ाया। मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह पाऊंगी। प्लीज विनीत मुझे यूं अकेला ना छोड़ो । अब मैं तुम्हारी खातिर समाज की भी परवाह नहीं करूंगी मैं सुमित को छोड़ दूंगी। मुझे सिर्फ तुम्हारा प्यार चाहिए और कुछ नहीं तुम ही मेरे जीवन का आधार हो। विनीत ने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। कहां मैं भी तुम्हारे बिना नही...
Chingari part-2
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https://roshik935.blogspot.com/2024/03/chingari.html Chingari part-2 शाम को मुझ से सुमित ने पूछा कब तक आ गई थी तुम अपनी दोस्त के यहां से । मैं थोड़ा सा सकुचाते हुऐ जवाब दिया ।मैं दोपहर में आ गई थी। तुरंत उसने मुझ पर चिल्लाते हुए कहां चल बहुत आराम कर लिया मेरे लिए ड्रिंक बना। और तैयार हो जा अभी तुझ से मुझे बहुत काम है। मैं जानती थी उससे मुझ से क्या काम था वह सिर्फ मेरे बदन को नोच सकता था। मैं केवल उसकी एक जरूरत का सामान थी। मुझे विनीत की बहुत याद आ रही थी। मुझे मेरा प्यार पाने के लिए सुमित से मुझे दूर होना पड़ेगा। लेकिन जिस समाज में ,मैं रहती हूं समाज का क्या। समाज मां-बाप मुझे कभी सुमित को छोड़ने पर माफ नहीं करेंगे। मेरे नाम के आगे जो मोहर लगेगी ।वह आवारा और बदचलन की लगेगी। कोई मेरे जीवन के बारे में नहीं सोचता है कि मैं क्या चाहती हूं। फिर वही हुआ जिसका मुझे डर था रात हुई मैंने उसे मना किया उसने मेरी बहुत पिटाई थी इतनी पिटाई की कि मुझे अस्पताल तक में एडमिट होना पड़ा। अस्पताल में एडमिट होने की वजह से मैं 2 दिन ना तो विनीत को फोन ...